Saturday 8 August 2020

Hindi story-बुद्धिमान व्यापारी

 बुद्धिमान व्यापारी

   बहुत दिन हुए उत्तर भारत के एक गांव में एक गरीब मजदूर रहता था वह गांव पहाड़ों और जंगलों के किनारे बसा हुआ था इसलिए अक्सर जंगलों में रहने वाले डाकू रात के समय इस गांव पर धावा बोल दिया करते थे डाकुओं को गांव वालों के पास जो कुछ मिलता, उसे वे छीन कर ले जाते थे 

 

एक बार एक व्यापारी इस गांव में आया क्योंकि रात हो चुकी थी, इसलिए उसने मजदूर के घर के दरवाजे पर दस्तक दी मजदूर ने दरवाजा खोला व्यापारी ने मजदूर से कहा- मैं शहर जाने के लिए आया था लेकिन यहीं पर रात हो गईक्या तुम मुझे अपने घर में रात गुजरने को जगह दे सकते हो 

मजदूर बहुत भला आदमी था, उसने घर आए अजनबी मेहमान का स्वागत करते हुए कहा-" क्यों नहीं? आइए, यह तो आपका ही घर है आप यहां रात गुजार सकते हैं 

मजदूर ने अपने घर रुखा-सुखा खाना बड़े प्रेम और आदर से व्यापारी को खिलाया फिर उसके सोने का प्रबंध कर दिया

   आधी रात के करीब कुछ शोर सुनकर व्यापारी की आंखें खुल गई उसने देखा कि घर का मालिक वह मजदूर अपने हाथों में एक पोटली लिए इधर-उधर बड़ी बेचैनी से चक्कर काट रहा है 

   व्यापारी यह माजरा समझ नहीं पाया और उसने उत्सुकता से मजदूर से पूछा-" क्यों क्या बात है?"

 

"साहब डाकुओं ने धावा बोल दिया है मैंने बेहद मेहनत से पांच सौ रुपये अपनी बेटी की शादी के लिए बचाए थे मुझे डर है कि यह रुपए डाकू ले जाएंगे आप ही बताइए कि मुझे क्या करना चाहिए?" मजदूर ने व्यापारी से कहा 

  व्यापारी ने फौरन सलाह दी" अरे इसमें इतना परेशान क्यों हो रहे हो जल्दी से सामने गड्ढा खोदकर अपने धन की पोटली उसमें छुपा दो।"

  मजदूर ने व्यापारी का सुझाव माना और झटपट गड्ढा खोदकर उसमें धन की पोटली छुपा दी

  थोड़े ही देर में पांच-सात डाकुओं का एक दल मजदूर के मकान में घुस आया उसके सरदार ने कड़कती हुई आवाज में पूछा-" अपना सारा धन हमारे हवाले कर दो।"

  मजदूर गिड़गिड़ा कर अपनी गरीबी बताने लगा तो सरदार ने अपने आदमियों को हुक्म दिया कि वे लोग मजदूर के घर की तलाशी ले डाकू घर की तलाशी लेना शुरू करते, इससे पहले ही व्यापारी बोल पड़ा-" आप लोग तलाशी ना ले  मैं बताता हूं इसने अपना धन कहां छुपाया है? 

  फिर व्यापारी ने सामने इशारा करते हुए कहा-" आप लोग यहां खोदे आनन-फानन में डाकुओं ने वह जगह खोद डालीकुछ समय में धन की पोटली उनके हाथ लग गई उन्होंने धन की पोटली ले ली और मजदूर को गालियां देते हुए चले गए 

  इधर यह सब देखकर मजदूर ने सोचा कि हो ना हो यह व्यापारी भी डाकुओ का आदमी है, तभी तो इसने खुद मुझे धन गड्ढे में छुपाने की सलाह दी और फिर उसी ने डाकुओं को धन का पता बता दिया 

  मजदूर ने जब यह देखा कि वह व्यापारी डाकू के साथ नहीं गया है तो उसे आश्चर्य हुआ 

  डाकुओं के जाने के बाद मजदूर ने दरवाजा बंद कर लिया और व्यापारी के पास पहुंच कर गुस्से में बड़ी देर तक उसे बुरा- भला कहता रहा व्यापारी सब कुछ सुन कर मुस्कुराता रहा जब मजदूर का जी भर गया और वह खुद चुप हो गया तब सहज स्वर में व्यापारी ने कहना शुरू कर किया "भाई, अब मेरी बात सुनो दरअसल मैंने डाकुओं को तुम्हारे धन का पता बता कर तुम्हारे साथ अपने को भी भारी नुकसान से बचाया जानते हो अगर डाकू तुम्हारे घर की घर की तलाशी लेते तो उनके हाथ मेरी वह पोटली लग जाती ,जिसमें ढाई हजार रुपए नगद और सोने के कुछ जेवर हैं मैंने डाकुओं को तुम्हारी पोटली का पता बताकर उनका ध्यान उस ओर कर दिया और उन्होंने घर की तलाशी नहीं ली

  यह कह कर व्यापारी ने अपनी पोटली में से छः सौ रुपये निकालकर मजदूर को देते हुए कहा- यह लो लो तुम्हारे पांच सौ रुपये और एक सौ तुम्हारी बिटिया को उसकी शादी पर मेरी ओर से 

 मजदूर व्यापारी की सूझबूझ और बुद्धिमानी देखकर दंग रह गया 

No comments:

Post a Comment

Hindi story-भाग्य का खेल (शंका,संदेह)

  भाग्य का खेल       बहुत वर्षों पहले इसकी सिसली में राजा लिओन्टेस राज्य करता था। इटली के पास सिसली एक बड़ा टापू है। राजा लिओन्टेस के राज्य ...