Sunday 2 August 2020

पंचतंत्र की कहानियाँ-गवैया गधा

गवैया गधा

एक धोबी के पास एक बूढा-सा मरियल गधा थागधा रोज सवेरे मैले कपड़ों की गठरी लेकर घाट जाता और शाम को धुले कपड़ों को लाद कर घर लाता था. रात होने पर उसे घूमने की छुट्टी मिल जाती थीएक बार घूमते-फिरते उसके भेट एक गीदड़ से हुई दोनों दोस्त बन गएअब दोनों भोजन की तलाश में साथ घूमने लगे इसी तरह घूमते फिरते हुए वे एक पके खीरों  के खेत में जा पहुंचे और पेट भरकर खीरे खाये दूसरी रात वे  फिर वही गए और जी भरके की खीरे खाये अब तो रोज ही खीरो की दावत उड़ने लगी खीरे खा- खाकर मरियल गधा खूब मोटा-ताजा हो गया एक रात भर पेट खीरे खाने के बाद गधा मस्त हो गया और मौज में आकर गीदड़ से बोला," भतीजे देखो आसमान की तरफ देखो चांद कैसा चमक रहा है कैसी सुहानी रात है मेरा मन तो गाने को कर रहा है

गीदड़ बोला," अरे, कहीं गाने ही ना लगना खेत के रखवालों ने सुन लिया तो बैठे-बिठाए आफत गले पड़ जाएगी चोर के लिए चुप ही रहना भला होता है 

गधे ने कहा," क्या बात करते हो जी? इतना प्यारा मौसम है और मैं बहुत खुश हूं मुझसे अब रहा नहीं जाता मैं तो एक बढ़िया गाना गाऊंगा

गीदड़ ने समझाया," ना चाचा, ना मुंह बंद ही रखो तो अच्छा है इसके अलावा तुम्हारी आवाज भी तो सुरीली नहीं है।"

"तुम मुझसे जलते हो," गधा बोला, तुमको ना सूर का पता है ना ताल का संगीत का आनंद तुम क्या जानो

 गीदड़ ने कहा," यह तो खैर ठीक है लेकिन इस संगीत का आनंद केवल तुमको ही आएगा खेत वाले तो तुम्हारा गाना सुनकर फौरन यहां आ धमके और तुम्हें ऐसा इनाम देंगे कि बसों याद रखोगे इसलिए कहता हूं कि मेरी बात मान लो और गाने का इरादा छोड़ दो।" 

गधे ने जवाब दिया," तुम मूर्ख हो महामूर्ख हो तुम समझते हो कि मैं अच्छा गाना नहीं गा सकता लो सुन लो, मेरा गला मीठा है या नहीं?" ऐसा कह कर गधे ने रेंकने के लिए मुंह ऊपर उठाया|

गीदड़ ने उसे रोकते हुए कहा," ठहरो  चाचा, ठहरो पहले मैं बाहर चला जाऊं, फिर तुम भी जी भरकर गा लेना मैं बाहर ही तुम्हारा इंतजार करूंगा।" गीदड़ के जाते ही गधे ने ऊंचे स्वर में अपना राग अलापना शुरू कर दिया

खेत के रखवालों ने जैसे ही गधे का रेंकना सुना वैसे ही अपने-अपने डंडे लेकर खेत की ओर दौड़े गधा बेखबर रेंकता ही जा रहा था कि उस पर डंडे बरसने लगे रखवालों ने उसे इतना मारा कि वह जमीन पर लुढ़क गयाफिर उन्होंने गधे के गले में एक भारी पत्थर बांध दिया और चले गए गीदड़ खेत के बाहर खड़ा गधे का इंतजार कर रहा था तभी गधा भारी पत्थर के साथ किसी तरह घसीटता हुआ बाहर आया उसे देखते ही गीदड़ बोला," वह चाचा! रखवालों ने तुम्हारे गाने पर इतना सुंदर इनाम दिया है बधाई हो, बधाई!"

 गधे ने कहा," अब और शर्मिंदा ना करो मुझे तुम्हारी सलाह ना मानने का बहुत अफसोस है|

 


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