खरगोश के चतुराई
सारे जंगल में सनसनी फैल गई। शेर को रोकने के लिए कोई ना कोई उपाय करना जरूरी था। एक दिन जंगल के सारे जानवर इकट्ठा हुए और इस प्रश्न पर विचार करने लगे। अंत में उन्होंने तय किया कि वह सब शेर के पास जाकर उससे इस बारे में बात करेंगे।
दूसरे दिन जानवरों का एक दल शेर के पास पहुंचा। उनको अपनी ओर आते देख शेर घबरा गया और उनसे गरज कर पूछा," क्या बात है? तुम सब यहां क्यों आये हो।
जानवर दल के नेता ने कहा," महाराज हम आपके पास निवेदन करने आए हैं। आप राजा हैं और हम आपकी प्रजा। जब आप शिकार करने निकलते हैं तो बहुत- से जानवर मार डालते हैं। आप सबको खा भी नहीं पाते। इस तरह से हमारी संख्या कम होती जा रही है। अगर ऐसा ही होता रहा तो कुछ ही
दिनों में जंगल में आपके सिवा और कोई भी नहीं बचेगा।प्रजा के बिना राजा भी कैसे रह सकता है? यदि हम सभी मर जाएंगे तो आप भी राजा नहीं रहेंगे। हम चाहते हैं कि आप सदा हमारे राजा बने रहें। आप से हमारी विनती है कि आप अपने घर पर ही रहा करें। हर रोज हम स्वयं आपके खाने के लिए एक जानवर भेज दिया करेंगे। इस तरह से राजा और प्रजा दोनों ही चैन से रह सकेगे।
शेर को लगा कि जानवरों की बात में सच्चाई है। उसने पल भर सोचा,फिर बोला," अच्छी बात है"।मैं तुम्हारे सुझाव को मान लेता हूं। लेकिन याद रखना अगर किसी भी दिन तुमने मेरे खाने के लिए पूरा भोजन नहीं भेजा तो मैं जितने जानवर चाहूंगा, मार डालूंगा"।
जानवरों के पास तो और कोई चारा नहीं था। इसलिए उन्होंने शेर की शर्त मान ली और अपने-अपने घर चले गए।
खरगोश धीरे धीरे आराम से शेर के घर पहुंचा। जब वह शेर के पास पहुंचा तब तक बहुत देर हो चुकी थी।
भूख के मारे शेर का बुरा हाल हो रहा था। जब उसने सिर्फ एक छोटे से खरगोश को अपनी ओर आते देखा तो गुस्से से बौखला उठा और गरज कर बोला, "किसने तुम्हें भेजा है? एक तो पीदे जैसे हो, दूसरे इतनी देर से आ रहे हो। जिन बेवकूफों ने है तुम्हें भेजा है मैं उन सब को ठीक करूँगा।एक-एक का काम तमाम ना किया तो मेरा नाम भी शेर नहीं।"
नन्हे खरगोश ने आदर जमीन तक झुक कर कहा, "महाराज अगर आप कृपा करके मेरी बात सुन ले तो मुझे या और जानवरों को दोष नहीं देंगे। वह तो जानते थे कि एक छोटा-सा खरगोश आपके भोजन के लिए पूरा नहीं पड़ेगा, इसलिए उन्होंने छह खरगोश भेजे थे। लेकिन रास्ते में हमें एक और शेर मिल गया। उसने पांच खरगोश को मारकर खा लिया।"
यह सुनते ही सा शेर दहाड़ कर बोला," क्या कहा? दूसरा शेर ?कौन है वह? तुमने उसे कहां देखा ?
"इस पर उसने पूछा ,'कौन है तुम्हारा राजा ?'मैंने जवाब दिया ,'हमारा राजा जंगल का सबसे बड़ा शेर है।
"महाराज ,मेरे ऐसा कहते ही वह गुस्से से लाल-पीला होकर बोला,'बकवूफ,इस जंगल का राजा सिर्फ मै हूँ।यहाँ सब जानवर मेरी प्रजा है। मै उनके साथ जैसा चाहू वैसा कर सकता हूँ ।जिस मुर्ख को तुम अपना राजा कहते हो उस चोर को मेरे सामने हाज़िर करो ।मै उसे बताऊंगा कि असली राजा कौन हैं ।महाराज ,इतना कहकर उस शेर ने आपको लिवाने के लिए मुझे यहां भेज दिया।
खरगोश की बात सुनकर शेर को बड़ा गुस्सा आया और वह बार-बार गरजने लगा। उसकी भयानक गरज से सारा जंगल दहलने लगा।
"मुझे फ़ौरन उस मूर्ख का पता बताओ ,"शेर ने दहाड़कर कहा ,"जब तक मै उसे जान से ना मार दूंगा मुझे चैन नहीं मिलेगा।
"बहुत अच्छा ,महाराज," खरगोश ने कहा ,मौत ही उस दुष्ट की सजा है।अगर मै और बड़ा और वह मजबूत होता तो मैं खुद ही उसके टुकड़े-टुकड़े कर देता।" चलो रास्ता दिखाओ," शेर ने कहा," फौरन बताओ किधर चलना है?"इधर आइये महाराज, इधर," खरगोश रास्ता दिखाते हुए शेर को एक कुएं के पास ले गया और बोला,महाराज वह शेर जमीन के नीचे किले में रहता है।जरा सावधान रहियेगा।किले में छिपा दुश्मन खतरनाक होता है|
"मैं उससे निपट लूंगा," शेर ने कहा, तुम यह बताओ कि वह है कहां है।" पहले जब मैंने उसे देखा था तब तो वही बाहर खड़ा था। लगता है आपको आता देखकर वह किले में घुस गया है। आइए मैं आपको दिखाता हूं।
खरगोश ने कुएं के नजदीक आकर शेर से अंदर झांकने के लिए कहा। शेर ने कुएं के अंदर झांका तो उसे कुएं के पानी में अपनी परछाई दिखाई दी।
परछाई को देखकर शेर जोर से दहाड़ा। कुए के अंदर से आते हुए अपने ही दहाड़ ने की गूंज सुनकर उसने समझा कि दूसरा शेर भी दहाड़ रहा है। दुश्मन को तुरंत मार डालने की इरादे से वह फौरन कुएं में कूद पड़ा।
कूदते ही पहले तो वह कुए की दीवार से टकराया फिर धड़ाम से पानी में गिरा और डूब कर मर गया।इस तरह चतुराई से शेर से छुट्टी पाकर नन्हा खरगोश घर लौटा। उसने जंगल के जानवरों को शेर के मारे जाने की कहानी सुनाई दुश्मन के मारे जाने की खबर से सारे जंगल में खुशी फैल गई। जंगल के सभी जानवर खरगोश की जय-जयकार करने लगे।
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